गंगा दशहरा, जिसे गंगावतरण भी कहा जाता है, एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो पवित्र गंगा नदी के स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
🕉️ उत्पत्ति और पौराणिक कथा
गंगा दशहरा की कथा हिंदू धर्मग्रंथों—स्कंद पुराण, पद्म पुराण और वाल्मीकि रामायण—में वर्णित है।
राजा भगीरथ, सूर्य वंश के एक प्रतापी राजा थे। उनके पूर्वजों को कपिल मुनि के शाप से मृत्यु मिली थी और वे मोक्ष नहीं प्राप्त कर सके थे। राजा भगीरथ ने उन्हें मुक्ति दिलाने के लिए घोर तप किया।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने गंगा को पृथ्वी पर भेजने का वचन दिया। लेकिन गंगा का वेग इतना तीव्र था कि वह पृथ्वी को तहस-नहस कर सकती थी। तब भगीरथ ने भगवान शिव की आराधना की। शिवजी ने अपनी जटाओं में गंगा को समेट लिया और फिर धीरे-धीरे उसे पृथ्वी पर प्रवाहित किया।
गंगा ने भगीरथ के पूर्वजों की अस्थियों को छूते ही उन्हें मोक्ष प्रदान किया। तभी से गंगा को मोक्षदायिनी और पापनाशिनी माना गया।
🙏 धार्मिक महत्व
गंगा दशहरा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का अवसर भी है:
- इस दिन गंगा में स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसलिए इसे दशहरा कहा जाता है (दश = दस, हरा = नाश करना)।
- दान, स्नान और जप करने से दशगुण फल की प्राप्ति होती है।
- लोग गंगा का पूजन पुष्प, दीप, जल और अन्य सामग्री से करते हैं और मोक्ष, स्वास्थ्य तथा शुद्धि की कामना करते हैं।
- हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज आदि स्थानों पर लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाते हैं।
🏞️ भारत में उत्सव का रूप
- हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा पूजन, भव्य झांकियाँ और आरतियाँ होती हैं।
- वाराणसी में विशेष गंगा आरती और दीपदान का आयोजन होता है।
- प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर हजारों लोग एकत्र होकर स्नान व पूजा करते हैं।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम, कथा वाचन और भजन संध्या का आयोजन होता है।
🧘♀️ पवित्र गंगा मंत्र
1. गंगा स्तोत्र (आदि शंकराचार्य रचित)
देवि सुरेश्वरी भगवति गंगे,
त्रिभुवन तारिणि तरल तरंगे।
शंकरमौलिविहारिणि विमले,
मम मतिरास्तां तव पदकमले॥
भावार्थ:
हे माँ गंगे! आप तीनों लोकों को तारने वाली हैं, शिवजी की जटाओं में निवास करती हैं। मुझे सदा आपके चरणों में भक्ति प्राप्त हो।
2. सरल ध्यान मंत्र
ॐ नमो गंगेायै नमः
भावार्थ:
मैं माँ गंगा को नमन करता हूँ।
3. स्नान के समय जपने योग्य मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ग्लौं गंगायै नमः
इस मंत्र का जप गंगा स्नान करते समय आत्मशुद्धि के लिए किया जाता है।
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गंगा दशहरा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति, धार्मिक आस्था और मानव कल्याण का अद्वितीय संगम है। माँ गंगा के प्रति श्रद्धा और सम्मान भाव रखना आज के पर्यावरणीय संकट के समय और भी जरूरी हो गया है।
इस पावन अवसर पर, चाहे आप गंगा तट पर हों या अपने घर में—मन, वचन और कर्म से माँ गंगा की पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।