विश्वकर्मा पूजा : Vishwakarma Pooja

भारत त्योंहारों का देश है। देश मे हर महीने कोई न कोई पर्व जरूर मनाया जाता है। इन त्योंहारों का  दिन निर्धारित करने मे चंद्रमा एवं सूर्य का बहुत ही महत्वपूर्ण उपयोग है । जैसे के सूर्य का मकर राशि मे जाना (जिसे गोचर भी कहते है) के दिन मकर संक्रांति मनाई जाती है। धनु एवं मीन राशि मे जाने पर खरमास माना जाता है । इसी कड़ी मे सूर्य का कन्या राशि मे जाना भी एक महत्वपूर्ण पर्व के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन सृष्टि के रचेता भगवान ब्रह्मा के पुत्र श्री विश्वकर्मा भगवान की पूजा की जाती है ।

कौन है विश्वकर्मा:  विश्वकर्मा को भगवान ब्रह्मा का सप्तम पुत्र मन जाता है। वे ब्रह्मांड के वास्तुकार है । इस सृष्टि मे जितनी भी वस्तुओं का निर्माण हुआ है उसके निर्माता विश्वकर्मा ही है । चाहे रावण की लंका हो, द्वारिका नगरी हो या पुष्पक विमान, पुल, मंदिर, भवन सभी का निर्माण इन्होंने ही किया है। इन्हे ही वास्तु विज्ञान का जनक भी कहते है।

विश्वकर्मा भगवान के पूजा यूं तो हर कोई करता है किन्तु कल कारखानों मे काम करने वाले,मशीन, कलपुर्जे या हाथ के औज़ार से काम करने वाले लोग या ऐसे लोग जो किसी निर्माण या मरम्मत के काम मे लगे है इनकी पूजा विशेष तौर पे करते है।

कब है विश्वकर्मा पूजा: जैसा के आपको बताया विश्वकर्मा पूजा का उत्सव सूर्य की कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है जो इस वर्ष 16 september को शाम के 7 बज के 52 मिनट पे होगा। चूकि हिन्दू धर्म मे त्योंहारों तो सूर्योदय की तिथि से मनाया जाता है, इसलिए इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 September को मनाया जाएगा।  

विश्वकर्मा भगवान की पूजा करते समय नीचे लिखे मंत्रों का जाप किया जा सकता है: 

  • ॐ अनन्तम नम:  ।
  • पृथिव्यै नम:  ।
  • ॐ अनन्ताय विदमहे, विश्वरूपाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।  
  • ॐ कूमयि नम: ।
  • ॐ प्रजापतये विदमहे, पुरुषाय धीमहि । तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात ।  
  • ॐ सर्वेश्वरांय विदमहे, विश्वरक्षकाय धीमहि तन्नो विश्वकर्मा प्रचोदयात 
  • ॐ आधार शक्तपे नम: ।
  • इसके अलावा आप भगवान विष्णु के मंत्रों का भी प्रयोग कर सकते है।

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