कहानी धनबाद के सिंह मैन्शन की

सिंह मेंशन की शुरुआत सिंह परिवार के राजनीतिक और सामाजिक शक्ति केंद्र के रूप में हुई थी — जो धनबाद के कोयला उद्योग और राजनीति में एक प्रभावशाली शक्ति रहा है। यह परिवार कोयला मजदूर यूनियन के नेतृत्व, राजनीतिक पदों और झरिया क्षेत्र पर मजबूत पकड़ के कारण उभरा।

सूर्यदेव सिंह, जिनका जन्म 1939 में हुआ था, झरिया की राजनीति में एक प्रबल हस्ती रहे। उनका निधन 1991 में हुआ। उनकी पत्नी कुंती सिंह झरिया से पूर्व विधायक रह चुकी हैं। उनके कई बच्चे हैं जो बाद में स्थानीय राजनीति में प्रमुख या विवादास्पद हस्तियां बने।

उनके बेटे संजय सिंह (जन्म: 1986) 2014 से 2019 तक भाजपा से झरिया के विधायक रहे। वे प्रभावशाली जनता मजदूर संघ के नेता भी थे। हालांकि, एक हाई-प्रोफाइल हत्या मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद उनका राजनीतिक करियर गिरावट पर आ गया। वे रागिनी सिंह (जन्म: 1981) के पति हैं, जो 2024 में जीतकर वर्तमान में भाजपा की झरिया विधायक हैं।

एक अन्य बेटे राजीव रंजन सिंह 2003 में रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गए और आज तक उनका कोई सुराग नहीं मिला। सिद्धार्थ गौतम, एक अन्य भाई, वर्तमान में धनबाद लोकसभा सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।

परिवार में स्व. राजन सिंह भी शामिल थे, जो रघुकुल गुट के प्रमुख थे। उनके बेटे नीरज सिंह कांग्रेस पार्टी के उदयीमान नेता और धनबाद के उपमहापौर थे। 2017 में उनकी हत्या कर दी गई। उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह (जन्म: 1985) 2019 से 2024 तक झरिया से कांग्रेस विधायक रहीं और अब भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं।


⚔️ 1996 की हत्या जिसने परिवार को तोड़ दिया

27 मई 1996: संजय सिंह की हत्या — जो सिंह परिवार की विभिन्न शाखाओं से जुड़े एक अहम सदस्य थे।

प्रारंभिक आरोपियों में रवि शंकर सिंह और सुरेश सिंह का नाम आया, लेकिन बाद में CID जांच में उन्हें निर्दोष पाया गया।

नए आरोपी: रामधीर सिंह, राजीव रंजन सिंह, पवन सिंह, काशीनाथ सिंह, और अशोक/कमलेश सिंह

रामधीर और राजीव रंजन की गिरफ्तारी हुई, जिससे परिवार दो गुटों में बंट गया:

  • सूर्यदेव + रामधीर गुट
  • राजन + बच्चा गुट

🏪 परिवार में विभाजन और राजनीतिक असर

इस हत्या और CID की जांच से परिवार में दरार आ गई। जो विश्वास पहले आपसी संबंधों में था, वह टूट गया। यह अंदरूनी विवाद धीरे-धीरे सार्वजनिक राजनीतिक दुश्मनी में बदल गया। एक समय पर संगठित राजनीतिक शक्ति दो भागों में बंट गई — जो विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़ गए और इसने स्थानीय शासन और श्रमिक आंदोलनों पर गहरा असर डाला।


🗕️ प्रमुख घटनाओं की समयरेखा

वर्षघटना
1970sसूर्यदेव सिंह कोयला यूनियन के नेता बने और सिंह मेंशन को राजनीतिक केंद्र बनाया।
1991सूर्यदेव सिंह का निधन; शक्ति उत्तराधिकारियों और रिश्तेदारों में बंटी।
1996संजय सिंह की हत्या; पारिवारिक विवाद की शुरुआत।
1990 के दशक के अंतCID जांच शुरू; कुछ सदस्य गिरफ्तार हुए।
2017नीरज सिंह की हत्या; तनाव और बढ़ा।
2019रागिनी सिंह (भाजपा) और पूर्णिमा सिंह (कांग्रेस) आमने-सामने; राजनीतिक विभाजन साफ हुआ।
2020sसिंह मेंशन आज भी राजनीतिक संघर्षों और बंटे हुए विरासत का प्रतीक है।

📌 मुख्य निष्कर्ष

  • 1996 की हत्या सिंह परिवार के एकता का निर्णायक अंत साबित हुई।
  • CID की जांच से परिवार के अंदर की गुटबाज़ी उजागर हुई और राजनीतिक दुश्मनी को हवा मिली।
  • परिवार का झगड़ा अब भाजपा बनाम कांग्रेस जैसे राजनीतिक संघर्ष में बदल चुका है।
  • सिंह मेंशन, जो कभी शक्ति का प्रतीक था, आज बंटे हुए विरासत और अंतहीन टकराव की पहचान बन चुका है।

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